घरों में रहते हुए भी फैल रहा है कोरोना वायरस, जानें क्या कहता है शोध

घरों में रहते हुए भी फैल रहा है कोरोना वायरस, जानें क्या कहता है शोध

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके इलाज के साथ ही इसे रोकने के लिए कारगर उपायों पर भी शोध जारी है।लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क जैसे उपायों के बाद भी यह संक्रमण रुक नहीं रहा है। एक ताजा शोध से पता चला है कि कोरोना संक्रमण घर से ही ज्यादा तेजी से फैल रहा है।

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ज्यादा संक्रामक लेकिन चिंता की बात

शोध में बताया गया है कि कोरोना वायरस का वर्तमान रूप सार्स कोव-2 पुराने सार्स वायरस के मुकाबले घर के हालातों में दोगुना संक्रमणकारी है, इसकी खास बात यह है कि यह संक्रमण फैलने के बाद ही पीड़ित में इसके लक्षण दिखाई देते हैं।

कैसे किया अध्ययन

चीन और अमेरिका के शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी उनकी पड़ताल का संक्रमण कम करने की दिशा में खासा असर हो सकता है। चीन के गुवांगझोऊ शहर में शोधकर्ताओं ने 350 मरीजों और उनके करीब 2000 संपर्कों के आंकड़ों का उपयोग किया। इससे उन्होंने सेकंडरी अटैक रेट, यानी दूसरे हमले की दर का अनुमान लगाया। इस दर से यह पता लगाया जाता है कि संक्रमित मरीज से किसी दूसरे व्यक्ति में यह बीमारी फैलने की कितनी आशंका है।

घर में ही संक्रमण की कितनी आशंका

शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के एक मरीज के अपने ही परिवार के सदस्य या फ्लैट में रहनेवाले साथी को संक्रमित करने की आशंका काफी ज्यादा है, वह भी तब जब मरीज में संक्रमण के लक्षण दिखाई ही न दें।   

इन्क्यूबेशन  में तेजी से फैलता है यह

इससे यह पता चलता है कि इनक्यूबेशन काल यानी संक्रमण होने और लक्षण दिखाई देने के बीच का समय, में ही यह वायरस आसानी से फैलता है और वह भी उन लोगों से जिन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि वे संक्रमित हैं। शोधकर्ताओं ने घर में आइसोलेशन से कोविड-19 संक्रमण की संख्या में कमी तो आई है। उनका कहना है कि अगर क्वारंटाइन न तरीका अपनाया नहीं गया होता आज 20 से 50 प्रतिशत तक ज्यादा संक्रमण होता।

संक्रमण रोकने में देर तो नहीं

गुवांगझोऊ सीडीसी के किन-लॉन्ग जिंग का कहना है, “हालांकि आइसोलेशन का असर कम लगता है, इन्क्यूबेशन के दौरान वायरस की उच्च संक्रामकता से लगता है कि बिना लक्षण दिखाई देने वाले संपर्कों को क्वारंटाइन करने से और संक्रमण रोके जा सकते थे।बहुत से यूरोपीय देशों ने लंबे लॉकडाउन लगाने से पहले लोगों को घर में ही रहने की सलाह दी थी, यदि वे बीमार हों या उनमें संक्रमण के किसी भी तरह के लक्षण दिखें। शोध का कहना है कि हो सकता है कि हमें संक्रमण को फैलने से रोकने में देर हो गई हो। ये प्बलिक हेल्थ स्कूल के वर्जीनिया पिट्जर का कहना है कि कोविड-19 के और दूसरे कोरोना वायरस में यही खास अंतर है कि इस बार यह लक्षण दिखाने से पहले ही काफी तेजी से संक्रमण फैला सकता है।

भारत में 13 हजार से भी ज्यादा मामले

जहां भारत में पिछले कुछ दिनों ने रोजाना दस हजार से ज्यादा मामले आ रहे थे। बुधवार के दिन यह आंकड़ा 13 हजार पार कर गया जो कि पूरी दुनिया के बुधवार को आए नए मामलों से भी ज्यादा है। भारत के विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक भारत में पीक की स्थिति नहीं आई है और संभावना से कहीं कम संक्रमण फैल रहा है।

जो भी हो फिलहाल ऐसा नहीं माना जा रहा है कि हालात नियंत्रण से बाहर हो गए हैं और यह भी नहीं माना जा रहा है कि स्थिति बेहतर हो रही है। विशेषज्ञों ने पहले से ही चेता रखा है कि अभी हालात सुधरने में काफी समय लग सकता है।

(साभार-नेटवर्क ग्रूप)

 

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